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मिसिर की कुण्डलिया




मिसिर की कुण्डलिया


मानव बन अतिशय सहज, भावुक सरल सुजान।

बैठाओ उर में सदा, रामेश्वर श्रीमान।।

रामेश्वर श्रीमान, बनें सबका उद्धारक।

पापी को भी मोक्ष, दिलाकर हों नित तारक।।

कहें मिसिर कविराय, नहीं बनना तुम दानव।

पढ़ मानव का पाठ,बनो मनमोहक मानव।।


       हरिहरपुरी की कुण्डलिया


अतुलित बनने की करो, इच्छा मन में यार।

स्वाभिमान के मंत्र से,करना जीर्णोद्धार।।

करना जीर्णोद्धार, स्वयं को सुंदर रचना।

कर खुद का उद्धार, बनो उत्तम संरचना।।

कहें मिसिर कविराय, साधना करना परहित।

लगे जगत से नेह, धरा पर दिखना अतुलित।।




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1 Comments

Muskan khan

09-Jan-2023 06:10 PM

Nice

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